शनिवार, 5 अक्तूबर 2013

नई रौशनी !

                    गणतंत्र भारत में जनगण की  आवाज़ भले ही जनता के प्रतिनिधियों  ने  नहीं सुनी परन्तु उनकी आवाज़ का अहसास  माननीय सर्वोच्च न्यायालय  को है l  दुसरे शब्दों में यूँ कहें  कि गणतंत्र के दुसरे स्तम्भ संसद और कार्यपालिका की आत्मा जहाँ विवेक शून्य हो गई है वहीँ न्यायालय की  आत्मा अभी भी जनता की  आत्मा के स्पंदन के साथ स्पंदित हो रही है l जनता के संवेदना को एहसास कर रही है l संसद और कार्यपालिका ने तो देश में भ्रष्टाचार और कुशासन से निराशा का वातावरण पैदा कर दिया है l पार्टियाँ और राजनेता यह समझने लगे हैं कि वे जो चाहे  कर सकते हैं, जनता कुछ नहीं कर सकती l इस परिस्थिति में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निम्नलिखित चार निर्णय भारतीय गणतंत्र के लिए निराशा में आशा की  नई रौशनी है l माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने १० जुलाई २०१३ को दो निर्णय दिया l 

१.  यदि किसी सांसद या एम्.एल.ए को किसी भी संगीन जुर्म में २ साल या उस से ज्यादा कारावास का दंड मिलता है तो उसकी संसद / विधान सभा  की सदस्यता तुरंत निरस्त हो जायेगी l
२.गिरफ्तार किये गए व्यक्ति जेल से चुनाव नहीं लड़ सकता l

             तीसरा महत्वपूर्ण निर्णय न्यायालय ने १३ सितम्बर २०१३ को सुनाया ,वह है :-
३   कोई भी उम्मीदवार ईमानदारी से अपने चल और अचल संपत्ति का पूरा सही सही व्यावरा और शैक्षणिक  एवं अपराधिक पृष्ठभूमि का सही सुचना दिए बिना चनाव नहीं लड़ सकता l
             
              चौथा महत्वपूर्ण ऐतिहासिक निर्णय २७ सितम्बर को सुनाया गया .l वह है "राइट टू रिजेक्ट "l
४.     "राइट टू रिजेक्ट ":-   माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने   "राइट टू रिजेक्ट " का अधिकार देकर मतदाता को शक्तिशाली बना दिया है l यह अन्ना हजारे जी के मांगों में एक था l इसे लागू करने के लिए निर्वाचन आयोग को आदेश दिया गया है कि वे वोटिंग मशीन में  (नोटा) बटन भी लगाये जिससे मतदाता को कोई भी उम्मीदवार  पसंद न होने पर (नोटा) दबाकर यह बता सके कि इनमे से कोई उम्मीदवार पसंद नहीं l  

           न्यायालय के प्रथम निर्णय अर्थात "यदि किसी सांसद या एम्.एल.ए को किसी संगीन जुर्म में २ साल या उस से ज्यादा कारावास का दंड मिलता है तो उसकी संसद / विधान सभा  की सदस्यता तुरंत निरस्त हो जायेगी " को निष्क्रिय करने के लिए सभी दल एकजुट हो गए थे क्योंकि अपराधी सभी दलों में है और किसी किसी दल के दलपति ही इस निर्णय के चंगुल में आ रहे थेl इसीलिए जल्दीबाजी में इस आदेश को निरस्त करने का बिल पास करवाना चाहते थे l लेकिन उनके  दुर्भाग्य और देश के सौभाग्य से बिल पास नहीं हो पाया l इससे सभी पार्टी के प्रभावित सदस्यों के रक्तचाप बढ़ गए  ,दिल की धड़कने भी तेज हो गई l वे सरकार पर दबाव डालकर अध्यादेश ले आये और आनन फानन में केबिनेट की मंजूरी लेकर राष्ट्रपति को भेज दिया ,जिसे कांग्रेस के वाईस प्रेसिडेंट राहुल गाँधी ने "नॉनसेंस" की  संगा देकर फाड़कर फेंक देने की  बात कही l उम्मीद है सरकार यह अध्यादेश वापिस ले लेगी l राहुल गाँधी को भगवान इसी तरह  सद्वुद्धि देते रहे l जनता चाहती है कि वे नए लोग जिनकी छबि साफसुथरी है उन्हें लेकर चुनाव मैदान में उतरें और दागियों (पैसे और मसल पावर ) को टिकेट न दें l
              
       न्यायालय के दूसरा  निर्णय अर्थात  " गिरफ्तार किये गए व्यक्ति जेल से चुनाव नहीं लड़ सकता " को सरकार निरस्त कर चुकी है l अच्छा होता राहुल गाँधी इसमें भी वीटो लगाते और जेल से चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध लगा रहता l अगले संसद में इसको सही किया जा सकता है l
         
       तीसरा निर्णय (संपत्ति ,अपराधिक इतिहास ,इत्यादि ) पर केवल चुनाव आयोग ही छानबीन के बाद निर्णय ले सकते हैं l
  
        चौथा निर्णय  "राइट टू रिजेक्ट " बहुत ही महत्वपूर्ण है l एकबार मतदाता ने सभी उम्मीदवार को नकार दिया और दुबारा चुनाव कराया तो पार्टियाँ साफ़ सुथरी छाबिवाले उम्मिद्वार चुनने के लिए मजबूर हो जायेंगे l इस निर्णय से अब मतदाता अधिक संख्या में वोट डालने आयेंगे क्योंकि जो लोग  किसी भी उम्मीदवार को वोट देना नहीं चाहते थे, वे नहीं आते थे l अब (नोटा ) को दबाकर अपनी बात बता सकते हैं कि हमें इनमे से कोई उम्मीदवार पसंद नहीं l लेकिन इसमें भी  थोडा खामी है l वह यह है कि यदि सर्वाधिक मत प्राप्त करने  वाले उम्मीदवार की  मत सख्या, (नोटा ) की  मत संख्या से अधिक हुआ तो वह विजयी घोषित हो जायगा भले ही उसे केवल १५% वोट मिले होंl १५% परसेंट वोट बहुमत का वोट नहीं हो सकता फिर भी वह चुना जायगा l इसलिए इसमें सुधर कर एक लिमिट बना देना  चाहिए जैसे कुल मतदान का ३३% या   उसे से अधिक वोट  मिलना चाहिए  तभी वह विजयी घोषित होना चाहिए  l
       ये चारो निर्णय भारतीय लोकतंत्र में मील का पत्थर साबित हो सकता है यदि इन्हें सही ढंग से लागू किया जाय l   

कालिपद "प्रसाद"
सर्वाधिकार सुरक्षित
     

21 टिप्‍पणियां:

Darshan jangra ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार - 29/09/2013 को
क्या बदला?
- हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः25
पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra


अशोक सलूजा ने कहा…

आप की बातों से पूरी तरह सहमत हूँ ......
शुभकामनायें!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

समय पर उठाया गया सराहनीय कदम है !

नई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सार्थक और सटीक !

रविकर ने कहा…

आदरणीय
समुचित व्याख्या के लिए आभार-

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

दर्शन जी आपका बहुत बहुत आभार !

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सर्वोच्च न्यायालय के चारों निर्णय सराहनीय है लेकिन चौथे निर्णय को लेकर मुझे अभी भी समझ में नहीं आया है कि इसे राईट टू रिजेक्ट क्यों कहा जा रहा है जबकि ये नों वोट का अधिकार है ! इसको जल्बाजी में हर कोई राईट टू रिजेक्ट बता रहा है जबकि इसका कोई असर चुनाव के नतीजों को प्रभावित करनें में नाकाम है और यह केवल विरोध दर्ज करवानें का अधिकार है !

Unknown ने कहा…

कभी कभी तो ऐसा लगता है जैसे शासन न्यायालय ही कर रहा हो | CBI को तेजी से और निष्पक्ष जांच के लिए वही कहता है | कई मामलों मे उसे स्वतः संज्ञान लेना पड़ता है |

मेरी नई रचना :- जख्मों का हिसाब (दर्द भरी हास्य कविता)

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुन्दर .
नई पोस्ट : भारतीय संस्कृति और कमल

kavita verma ने कहा…

behataree ke liye ek kadam ..sundar prastuti ..

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर .सटीक बात..

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma ने कहा…

उम्दा पोस्ट

Unknown ने कहा…

बहुत बढिया जानकारी .....सब को ये बातें मालूम होनी ही चाहिए
शुक्रिया आपका

सुनीता अग्रवाल "नेह" ने कहा…

आशावान रहना बेहतर .. उपयुक्त निर्णयों का सुन्दर सरल विश्लेषण कर दिशा दिखाने के लिए बधाई :)

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सार्थक प्रस्तुति...

Satish Saxena ने कहा…

सहमत हूँ आपसे , सामयिक लेख के लिए बधाई !

virendra sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर अद्यतन और प्रासंगिक प्रस्तुति .

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

चौथा निर्णय "राइट टू रिजेक्ट " बहुत ही महत्वपूर्ण है l एकबार मतदाता ने सभी उम्मीदवार को नकार दिया और दुबारा चुनाव कराया तो पार्टियाँ साफ़ सुथरी छाबिवाले उम्मिद्वार चुनने के लिए मजबूर हो जायेंगे ल
यह सही है
संग्रहणीय आलेख
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

satik nd sarthak jankari ...

Vandana Ramasingh ने कहा…

सार्थक पोस्ट

prritiy----sneh ने कहा…

sahi vishleshan kiya hai aapne, achha prastutikaran

shubhkamnayen