शनिवार, 31 मई 2014

मोदी सरकार की प्रथामिकता क्या है ?

चित्र गूगल से साभार


          
                                                                           



                आजकल टी वी ,समाचार पत्रों में धारा ३७० छाया हुआ है | हर कोई अपना अपना मत व्यक्त कर रहा है | चचाएँ हो रही है | कोई कहा रहा है ,"संविधान के अनुसार राष्ट्रपति अध्यादेश द्वारा इस धारा को हटा सकता है |"  दूसरा कहता है ," केवल कोन्स्तितुएन्त एसेम्ली ही इसको हटा सकती है  परन्तु वह तो अस्तित्व में नहीं है ,अत:इस धारा को हटाया नहीं जा सकता है |" नव निर्वाचित नरेन्द्र मोदी सरकार के एक मंत्री इस विषय पर वयान देकर इसे विवाद का विषय बना दिया है |
           नरेन्द्र मोदी सरकार महंगाई ,विकास ,सुशासन और भ्रष्टाचार उन्मूलन को मुद्दा बनाकर सत्तारुड हुआ है | इसीलिए सरकार को सबसे पहले इन्ही मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए और उपयुक्त कदम उठाना चाहिए जिस से अनियंत्रित महंगाई का मार झेल रही जनता को महंगाई से यथा संभव मुक्ति का एहसास हो | छोटे बड़े सभी कर्मचारी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए  हैं | बिना रिश्वत कोई काम नहीं होता ,जनता उनसे त्रस्त हैं |इसीलिए  मोदी सरकार को धारा ३७० के बजाय भ्रष्टाचार उन्मूलन ,विकास और महंगाई नियंत्रण को प्राथमिकता देना चाहिए और काम ऐसा करे कि १०० दिन में उसका असर नजर आने लगे |धारा ३७० के झगडे  में पड़कर ना जनता का, ना सरकार  का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने की कोशिश करे |अच्छा यही होगा कि एक कानूनी सलाहकार समिति बनाकर धारा ३७० को उसके हवाले कर दिया जाय जो उसके बारीकियों और प्रासांगिकता पर विचार कर जनता के सामने रख सके कि उसके रहने से जम्मु-काश्मिर  और पुरे भारत को क्या
फ़ायदा और नुक्सान होगा  और हटाने से क्या परिणाम होगा | दोनों पहलुओं का परिणाम स्पष्ट रूप में जनता को बताया  जाय ,विशेषत: इसको हटाने पर जम्मू काश्मीर के जनता को क्या फ़ायदा होने वाला  है | यदि उनका फ़ायदा ज्यादा होता है,विकास का रास्ता खुलता है तो  यह बात को यदि सही ढंग से उन तक पहुंचाया जाता है तो झगडा शायद समाप्त हो जायेगा | आज सब विकास चाहते है | समिति का रिपोर्ट आने तक कोई मंत्री उसपर कुछ ना बोले |तबतक  सब  अपना ध्यान महंगाई ,विकास ,भ्रष्टाचार ,कालाधन की वापसी आदि कार्यों में केन्द्रित करें |अपना वायदा पूरा  करे |
           पुरानी  कांग्रेस सरकार जनता की इच्छा की कोई कदर नहीं की और संवेदन हीनता से जिस प्रकार जनलोकपाल और सिटिज़न चार्टर पर प्रतिक्रिया व्यक्त किया उससे जनता में यह सन्देश गया था कि यह सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने में लगी हुई है | इसका परिणाम सबके सामने है | धारा ३७० के वजह से यदि जनता में यह सन्देश गया  कि यह मोदी  सरकार इस धारा पर विवाद खड़ा कर जनता का ध्यान भ्रष्टाचार ,महंगाई ,विकास आदि से हटाना चाहती है तो यह मोदी सरकार के लिये अच्छा नहीं होगा | अत: प्राथमिकता के आधार पर जनता से  किया गया वायदों को पूरा करने के लिए मोदी सरकार को कारगर कदम उठाना चाहिए जिससे महगाई कम हो ,भ्रष्टाचार कम हो ,विकास तेजी से हो ,महिलाओं में सुरक्षा की भावना बढे ,युवाओं को रोजगार मिले ,किसान को फसल का उचित दाम मिले ,मजदूर को इज्जत से जीने लायक मजदूरी मिले| देश के विकास का रास्ता उद्योग ही प्रसस्त करता है परन्तु उद्योग मजदूरों पर निर्भर है ,इसीलिए मजदूरों का हित का ख्याल रखना अत्यंत आवश्यक है |
            सरकारी गोदामों में गेहू ,चावल एवं अन्य अनाज सड़ रहे हैं ,इन अनाजों की सुरक्षा और वितरण की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है| मोदी सरकार का प्रथम कदम सराहनीय है कि वह काले धन की वापसी के लिए एस आई टी गठन किया है | देखना है इसका नतीजा क्या आता है ! सरकार कमजोर लोकपाल को सुधर कर मजबूत लोकपाल लाने के लिए भी कदम उठाये  ! सी बी आई को भी सरकारी नियंत्रण से निकालकर उसे स्वायत्त संस्था (Autonomous Body ) बना देंना  चाहिये जिससे वह निष्पक्ष होकर काम कर सके |
             मोदी सरकार के सामने जनहित के अपार कार्य लंबित है | पहले उन पर ध्यान दें, न  कि धारा३७०,,मंदिर या मस्जिद | इन विवादों को वार्तालाप ,सहमति और धीरज से हल किया जाना चाहिए |


कालीपद "प्रसाद "
                   

सोमवार, 19 मई 2014

क्या मोदी दूसरा मनमोहन होगा ?



          लोकतंत्र में चुनाव के माध्यम से जनता नई सरकार बनाती है और पुरानी सरकार को गिरा देती है ! चुनाव के समय मतदाता ही मालिक होता है और मतदान के बाद मंत्री मालिक हो जाता है ,यह एक बिडम्बना है | कांग्रेस (युपिए)सरकार की सम्बेदन हीनता ,देशव्यापी भ्रष्टाचार,मंत्रियों का भ्रष्टाचार में लिप्त होना ,सरकारी धन और साधनों का दुरूपयोग ,उद्योगपतियों को लाभ पहुँचना और जनता को महंगाई के मार से मारना ,जनता ने स्वीकार नहीं किया है| यही कारण है कि जनता ने देश के सबसे पूरानी पार्टी कांग्रेस को उखाड़कर कूड़ेदान में फेंक दिया है ! विरोध में बैठने लायक भी नहीं छोड़ा और मोदी को सत्तारुड कर दिया|
‘अच्छे दिन आयेंगे ‘, ‘सुशासन’ ,’सबका साथ सबका विकास’ ‘ जैसे नारों के बल पर मोदी ने पूर्ण बहुमत तो हासिल कर लिया परन्तु उसका असली परीक्षा अभी बाकी है | जनता की आशाओं और अपेक्षाओं पर खरे उतरने के लिए मोदी को अपना स्वविवेक का उपयोग करना होगा और महत्वपूर्ण मसले पर निष्पक्ष होकर जनहित में निर्णय लेना पड़ेगा ,लेकिन इनमे कुछ बाधाएं है जैसे मनमोहन के सामने बाधाएं थीं | अधिकतर लोगों का मत है कि मनमोहनसिंह एक इमानदार और योग्य प्रधान मंत्री थे  परन्तु कमज़ोर प्रधान मंत्री थे  क्योंकि वह रिमोट चालित थे |उसके पास सारे जिम्मेदारियां थीं परन्तु शक्ति नहीं थी |शक्ति कहीं किसी और के हाथ में थी ,इसलिए वह कारगर स्वनिर्णय लेने में असमर्थ रहे | मोदी को इस परिस्थिति से बचना चाहिए| जैसा कि खबर है कि आर .एस ,एस ने घर घर अपना कार्यकर्ता को भेज कर मोदी का प्रचार किया ,यदि यह सच है तो आर .एस ,एस चाहेगा कि मोदी उनकी इच्छानुसार काम करें | आर .एस ,एस के  सिद्धांत का पालन करना अच्छा है परन्तु दिन प्रतिदिन के सरकारी काम काज उनके आदेश से हो ,यह ठीक नहीं | यह मोदी के लिए घातक सिद्ध हो सकता है |उसे दूसरा मनमोहन बनाकर रख देगा ,इसीलिए मोदी को देश हित और जनहित को ध्यान रखकर स्वतंत्र निर्णय लेना चाहिए | आर .एस ,एस -रिमोट कंट्रोल से मुक्त होना चाहिए |तभी वह अपने को एक काबिल और सशक्त प्रधान मंत्री सिद्ध कर पाएंगे |
    दूसरी समस्या उद्योग पतियों की ओर से होगी | उद्योगपतिओं ने जो धन बी जे पी के प्रचार में खर्च किये हैं वे उसे कई गुणाकर वसूलने की कोशिश करेंगे|इसके लिए मोदी पर पार्टी का दबाव भी होगा|इसमें भी मोदी को जनहित का ध्यान रख कर फैसला लेना होगा !यदि उद्योगपतियों को खुला छोड़ दिया और पट्रोल जैसे बहुप्रभावी वस्तु का दाम बढाने की आजादी दी गई तो सभी वस्तुओं का दाम बढ़ जायेंगे और महंगाई की मार झेल रही जनता को और ज्यादा मार झेलनी पड़ेगी | इस से जनता में रोष फ़ैल जायेगा |अत: मोदी सरकार को महंगाई को नियंत्रण में रखने के कारगर कदम उठाना पड़ेगा |
     मोदी पर कई बार लोगो ने आरोप लगाया है कि वह एर्रोगंट (arrogant)है |  इसका क्या कारण है ,यह तो नहीं पता ,परन्तु यदि उसमे ऐसा कुछ है तो उसे छोड़ना पड़ेगा और उनके आदर्श पुरुष अटल बिहारी बाजपेयी जैसे धैर्यवान ,विवेकशील पुरुष बनकर राजधर्म का पालन  करना पड़ेगा ,तभी वह एक स्वतंत्र ,सशक्त,सर्वमान्य  प्रधान मंत्री बन पायेगा|

कालीपद "प्रसाद "
18 /०५/२०१४