शनिवार, 30 अप्रैल 2016

मजदूर दिवस !


 मजदूर दिवस !

मई महीने के पहला दिन को मे डे के रूप में मनाया जाता है | इसे “अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस” या केवल “मजदूर दिवस” भी कहते हैं | १८६० से ही १० से १६ घन्टे की कार्यावधि एवं कार्य क्षेत्र की प्रतिकूल परिस्थिति के विरुद्ध ८ घन्टे प्रतिदिन कार्यावधि और कार्य क्षेत्र की बेहतर परिस्थिति की माँग उठती रही थी | परन्तु इसकी स्वीकृति यु एस में १८८६ में मिली | पहली मई १८८६ को यु एस के १३००० औद्योगिक संस्थानों से तीन लाख से भी अधिक लोग काम छोड़कर मई दिवस मनाने चले गए | सिकागो में ४०००० लोग हड़ताल पर बैठ गए | तब से मई दिवस मनाये जाने लगा | अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पहली मई (First May ) को मनाया जाता है परन्तु यु एस में सितम्बर में मनाया जाता है |
       वास्तव में यह मजदूर ही है जिसके खून पसीने के बल पर दुनिया प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रही है | चाहे यु एस का व्हाइट हॉउस हो, या बकिंघम पैलेस हो , या फिर ताजमहल या राष्ट्रपति भवन हो ,इन सबके हर ईंट, हर पत्थर मजदूरों के पसीने से भीगा हुआ है | अगर ये इमारतें प्रगति के मापदण्ड हैं, तो इस प्रगति का प्रमुख श्रेय इन मजदूरों को जाना चाहिए | समाज को उनके प्रति कृतज्ञ होना चाहिए| किन्तु अकृतज्ञ शाहजहाँ ने तो उन मजदूरों के हाथ कटवा दिये थे ताकि वे दूसरा ताजमहल न बना सके | यह स्वार्थ और अकृतज्ञता का पराकाष्ठा है | आज भी मजदूरों से ८ घन्टे से ज्यादा काम कराया जाता है परन्तु उन्हें पूरी मजदूरी नहीं दी जाती है | शहरी क्षेत्र में हालत थोडा सुधरी है परन्तु ग्रामीण क्षेत्र में मजदूरी पूरी नहीं मिलती | बिहार और झाडखंड जैसे राज्यों से ऐसी खबरें आये दिन समाचार पत्रों में पढने को मिलती है |
       देश की उन्नति में मजदूरों का योगदान अतुलनीय है | खेत खलिहानों में मजदूर, सड़क निर्माण में मजदूर, गृह निर्माण में मजदूर, औद्योगिक संस्थानों के उत्पादों में मजदूर, मजदूर का कार्यक्षेत्र असीमित है| उनकी महता भी असीमित है | सबसे बड़ी बात यह है कि देश निर्माण के हर क्षेत्र में पहला ईंट और आखरी ईंट वही रखता है, परन्तु कभी घमंड से यह नहीं कहता है कि मैं देश सेवा करता हूँ या मैं राष्ट्र भक्त हूँ | उसका समर्पित भाव ही बता देता है कि वह राष्ट्रभक्त है और राष्ट्रवादी भी | उसके विपरीत नेता और अधिकारी काम के लिए मोटी तनख्वा तो लेते ही हैं, साथ में बड़े बड़े घपले करते हैं, |अरबों रुपये लूटकर अपने तिजोरी भर लेते हैं और देशसेवा और देश भक्ति का दावा करते हैं |
      आजकल “राष्ट्रवादी” शब्द का प्रयोग बहुत ज्यादा हो रहा है | एक दो चुने हुए नारा लगा दिया और खुद को स्वयं ही राष्ट्रवादी घोषित कर दिया | जिसने वह विशेष नारा नहीं लगाया, उसे राष्ट्र विरोधी घोषित कर दिया | अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए जुलुश निकाला और राष्ट्र की संपत्ति (बस, भवन इत्यादि ) को नुक्सान पहुंचाया| उनसे ज़रा कोई पूछे कि मजदूर जो कभी कोई नारा नहीं लगाता है, परन्तु राष्ट्र की संपत्ति निर्माण में अपना खून पसीना एक कर रहे हैं, वे सब मजदूर राष्ट्रवादी  हैं या नारा लगाकर राष्ट्रीय संपत्ति को हानि पहुँचाने वाले राष्ट्रवादी हैं ? नारा लागाने से कोई राष्ट्रभक्त नहीं बन जाता है और ना लगाने वाले देशद्रोही नहीं बन जाता है | जो सच्चे मन से देश के निर्माण कार्य में योगदान देते हैं, वही सच्चा देशभक्त है ,वही राष्ट्रवादी है | हमारे मजदूर ही सही मायने में राष्ट्रभक्त है, सच्चा राष्ट्रवादी है |
          जय मजदूर ! जय भारत !!


कालीपद ‘प्रसाद’